Thursday 2 May 2013

ताकि और सरबजीत न मारे जाएं...


                                                                           23 साल सलाखों के पीछे रहने वाले सरबजीत भले ही अब हमारे बीच न हों लेकिन सरबजीत की मौत ने हमें यह चेतावनी जरूर दे दी है कि पाक अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। पहले उनपर झूठा मुकदमा दर्ज करना, फिर भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी अदालत द्वारा उन्हें फांसी की सजा दे देना और आखिर में उन्हें 23 साल तक मानसिक और शारीरिक तौर पर प्रताड़ित करना, इतना प्रताड़ित करना कि उनकी जान ही चली जाए। भारत के खिलाफ आतंकवादी मुहीम को गाहे-बगाहे हवा देने वाले पाकिस्तान ने सरबजीत की साजिश के तहत हत्या करवा कर यह साबित कर दिया है कि वो सुधरने वाला नहीं है। फिर चाहे भारत कितने भी मधुर संबंध या फिर बातचीत के दरवाज़े खोलता रहे। इसके अलावा सरबजीत की हत्या से पाक की सियासत के भीतर छिपी एक और कमज़ोर कलई खुलती नज़र आ रही है औऱ वो है आईएसआई (ISI), जी हां इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि सरबजीत की हत्या के पीछे आईएसआई का हाथ है जो कि पाकिस्तान की खूफिया ऐजेंसी है। कहा जा रहा है कि आईएसआई के निर्देशों पर ही सरबजीत पर हमला कराया गया। यह दलील इसलिए भी पुख्ता नज़र आती है क्योंकि पाक में आईएसआई की भूमिका हमेशा संदिग्ध रही है फिर चाहे वो हाफिज़ सईद वाला प्रकरण हो या फिर मुम्बई में हुआ 26/11 । आईएसआई, आतंकवादी संगठनों और सेना की मिलीभगत के किस्से अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी चर्चित रहे हैं। यह बात भी लगातार सामने आती रही है कि इस गठजोड़ का हस्तक्षेप सीधे-सीधे वहां की हुकूमत तक है। खैर मुद्दा यह नहीं है कि पाक की सियासत की दशा दिशा क्या है बल्कि यह है कि सरबजीत की हत्या के बाद पाक की सलाखों के पीछे जितने भी भारतीय कैदी हैं उनकी सुरक्षा को लेकर पाक प्रशासन और वहां कि आबोहवा से विश्वास उठने लगा है। जिस लाहौर की कोट लखपत जेल में सरबजीत को लंबे अर्से तक प्रताड़ित किया गया और आखिर में उनकी जान ले ली, उसी जेल में भारत के दो और कैदी हैं जिनकी जान को लेकर भी खतरा बताया जा रहा है। इनमें पच्चीस-पच्चीस साल की सजा भुगत रहे गुजरात निवासी कुलदीप कुमार और जम्मू कश्मीर निवासी कुलदीप सिंह हैं। अब डर यह है कि कहीं पाकिस्तान की तरफ से किसी और कैदी के भी इस तरह की निर्मम हत्या की ख़बर न आ जाए। इसलिए भारत सरकार को चाहिए की सरबजीत के मुद्दे को आधार बनाकर वो पाकिस्तान में लंबे अर्से से कैद अन्य कैदियों की सुरक्षा का पुख्ता इंतजामात कराने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाए और एक ईमानदार पहल करते हुए उन्हें वहां से रिहा कर भारत लाने की भी कोशिश करे।

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