Sunday 31 March 2013

ईमांदारी



ईमांदारी की कीमत तुम क्या जानों भ्रष्ट बाबू
एक ईमांदार का ज़मीर होता है ईमांदारी
जिंदगी जीने का मकसद होता है ईमांदारी
दौलत और शौहरत से उठकर हौसला और स्वाभिमान की मिसाल होता है ईमांदारी
सच्चाई और नेकी का प्रतीक होता है ईमांदारी...
बेइमानों से लड़ने का हथियार होता है ईमांदारी
ईमानदार का सिरमौर होता है ईमांदारी
ईमांदारी झूठ और बेईमानी से निरंतर लड़ने का संकेत है.. शक्ति है... और वो भाव है जिसकी जननी संस्कार है... इसलिए ईमांदारी की कीमत तुम क्या जानों भ्रष्ट बाबू

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