Thursday 14 March 2013

ईमांदारी के बदले मौत ! (Part-4)



इन सभी इमांदार लोगों की कहानी बिलकुल भगत सिंह, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद जैसे अनेक क्रांतिकारियों की भारत को आजादी दिलाने के लिए लड़ी गई लड़ाई जैसी ही दिखती है.... फर्क बस इतना है कि वो क्रांतिकारी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ रहे थे और ये लोग अपने ही सिस्टम में मौजूद भ्रष्ट लोगों के खिलाफ.... बहरहाल ईमांदारी की कीमत जान देकर चुकाने का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ..... इस बार भी एक शख्स ने अपने इकबाल को बुलंद किया..... गठतंत्र दिवस .. एक स्वाधीन भारत को लोकतंत्र के सांचे में पिरोने का एक राष्ट्रीय महोत्सव..... राष्ट्रीय गौरव के इस दिन जहां राजपथ पर भारत अपना शक्ति प्रदर्शन करता है तो वहीं दूसरी तरफ झाकियों के माध्यम से देश की सांस्कृतिक विविधताओं की झलक भी देखने को मिलती है... 61वें गठतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर जब देश की तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल देश के नाम संदेश देने वाली थी... उससे ठीक चंद घंटो पहले महाराष्ट्र के नासिक ज़िले के करीब मनमाड नाम की एक जगह से एक दिल दहला देने वाला सनसनीखेज समाचार मिला.... खबर आई कि पेट्रोल में मिट्टी के तेल की मिलावट करने वाले तेल माफियाओं ने एक ईमानदार और होनहार अतिरिक्त जिलाधिकारी को दोपहर ढाई बजे के करीब मुख्य मार्ग पर सरेआम जिंदा जला कर मार डाला... इस अधिकारी का नाम था यशवंत सोनावणे..... हाल ही में पदोन्नति प्राप्त करने वाले अतिरिक्त जिलाधिकारी यशवंत सोनावणे ने पानीवाडी ऑयल डिपो में छापा मारा और यह पाया कि एक कैरोसीन टैंकर से तेल निकाल कर पैट्रोल में मिलाया जा रहा है.... यही नहीं उन्होंने इस पूरे अपराधिक घटनाक्रम की अपने मोबाईल से वीडियो बना ली.... इस मिलावट खोरी का जब उन्होनें पर्दाफाश किया .... तो उस पर आवश्यक कार्रवाई के लिए संबंधित विभाग के अधिकारियों को बुलाया.... लेकिन इस बात की भनक अब तक माफियाओं को लग चुकी थी.... उसी समय मोटर साईकलों पर सवार कुछ लोग पानीवाडी ऑयल डिपो पर पहुंचे और सोनावणे से उलझ बैठे... देखते ही देखते वो अपराधी यशवंत पर भड़क उठे और मारपीट करने लगे..... उनकी आक्रामकता और अधिकारी के साथ की जा रही मारपीट से डरकर यशवंत सोनावणे का ड्राईवर और उनके निजी सचिव वहां से भागकर पुलिस थाने गए... लेकिन  जब तक पुलिस घटना स्थल पर पहुंचती तब तक यशवंत सोनावणे के रूप में एक और ईमानदार अधिकारी अपने कर्तव्यों की बलिबेदी पर अपनी जान न्यौछावर कर चुका था.... मिलावटखोर तेल माफियों ने उन्हें उसी मिटटी के तेल से जिसके लिए वो लड़े थे .. छिड़क कर सड़क पर ही जिंदा जला कर मार डाला... इस तरह से एक बार फिर से एक शख्स को ईमांदारी की कीमत मौत से ही चुकानी पड़ी....

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